मशहूर राजनेता शरद पंवार की आत्मकथा ‚ऑन माय टर्म्स‘ का यह प्रभावशाली हिंदी अनुवाद हमारा शरद पंवार के जीवन से अंतरंग परिचय तो करवाता ही है; इस पुस्तक में उन्होंने गठबंधन की राजनीति; कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र के क्षरण; कृषि और उद्योग की स्थिति और भावी भारत के लिए सामाजिक समरसता तथा उदार दृष्टिकोण की अहमियत पर अपने विचार प्रकट किए हैं. पुस्तक में वे देश पर आए संकट के कुछ क्षणों पर भी हमें दुर्लभ जानकारी देते चलते हैं; जिनमें आपातकाल और देश की क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय राजनीति पर उसके प्रभाव; 1991 में चंद्रशेखर सरकार का पतन; राजीव गांधी और एच.एस. लोंगोवाल के बीच हुआ पंजाब समझौता; बाबरी मस्जिद ध्वंस; 1993 के मुम्बई दंगे; लातूर का भूकम्प; एनरॉन विद्युत परियोजना विवाद और सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री पद न लेने का फैसला आदि निर्णायक महत्व के मुद्दे शामिल हैं. भारतीय राजनीति के कुछ बड़े नामों का रोमांचकारी आंकलन भी उन्होंने किया है; जिससे इंदिरा गांधी; राजीव गांधी; सोनिया गांधी; वाई.बी. चव्हाण; मोरारजी देसाई; बीजू पटनायक; अटल बिहारी वाजपेयी; चन्द्रशेखर; पी.वी. नरसिम्हा राव; जॉर्ज फर्नांडीज और बाल ठाकरे के व्यक्तित्वों पर नई रोशनी पड़ती है.
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Studio: Storyside IN
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