देवकीनंदन खत्री द्वारा लिखित ‚चन्द्रकांता संतति‘ – भाग १ में चन्द्रकांता और विरेंद्रसिंह की शादी हो जाती हैं. दो साल बाद चन्द्रकांता एक बेटे को जन्म देती हैं उसका नाम हैं इंद्रजितसिंह उसके तीन साल बाद आनंदसिंह का जन्म होता हैं चपला और चम्पा की भी शादी अय्यरोके साथ हो जाती हैं चपला को भैरोसिंह और चम्पा को तारसिंह नामक पुत्र होते हैं इन चारों पुत्रोंको जितसिंह की शगिर्दी मिलती हैं शिवदत्त अय्यारी करके इंद्रजीत और आनंदसिह को क़ैद करना चाहता हैं यहाँ माधवी जो मायावती की बेटी हैं वो इंद्रजीत को अपने जाल में बाँधना चाहती हैं.
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