Bhag 2 वर्दी क्या होती है; जानती हो ? वह क्या महज कोई पोशाक होती है; जैसा कि समझा जाता है । सुनो वह पोशाक के रूप में ‚ताकत‘ होती है । उसी ताकत को तुम चाहती हो । जिसको कमजोर मान लिया गया है; उसे ताकत की तमन्ना हर हाल में होगी । हाँ; वह वर्दी तुम पर फबती है । ताकत या शक्ति हर इनसान पर फबती है । लेकिन फबती तभी है जब वर्दीरूपी ताकत का उपयोग नाइंसाफी से लड़ने के लिए होता है । यह मनुष्यता को बचाने के लिए तुम्हें सौंपी गई वह ताकत है; जो तुम्हारे स्वाभिमान की रक्षा करती है । सच मानो वर्दी तुम्हारी शख्सियत का आइना है । स्त्री की कोशिश में अगर जिद न मिलाई जाए तो उसका मुकाम दूर ही रहेगा । सच में औरत की अपनी जिद ही वह ताकत है जो उसे रूढ़ियों; जर्जर मान्यताओं के जंजाल से खींचकर खुली दुनिया में ला रही है । नहीं तो सुमन जैसी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वाकर उसे घर बिठा दिया जाता । मेरे खयाल में आप त्रियाहठ का अर्थ उस तरह समझ रही हैं कि जो दृढ़ संकल्प हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाए । ‚नहीं; शादी नहीं । मैं घर से भाग जाऊँगी‘ अम्मी के सामने यह कहा तो अम्मी की आँखें कौड़ी की तरह खुली रह गर्इं । उनके होंठों में हरकत थी; जैसे कह रही हों–भाग जाएगी! भाग जाएगी!!–उन्होंने जो साफतौर पर कहा; वह तीर की तरह चुभा हिना को–’भाग जा; रंडियों के कोठे पर बैठ जाना और तू करेगी क्या ?‘
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