यह पुस्तक कद्दावर अदीब और शायर मुनव्वर राणा की आपबीती है। इसमें जितनी आपबीती है उतनी ही जगबीती भी है। एक आईने की शक्ल में लिखी गयी इस किताब में लिखने वाले का अक्स तो दिखता ही है;ख़ुद उस आईने का अक्स भी दिखता है जिसके ढांचे के भीतर यह किताब लिखी गयी है। ‚मीर आ के लौट गया‘ गुज़िशता यादों की तस्वीरों से सजी हुई एक अलबम है। इस किताब की भाषा में गजब की रवानगी है जो सीधे उर्दू से हिन्दी में ढलकर आई है।
Medium: Audio Books
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Studio: Storyside IN
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