पंचतंत्र की कहानियों में पाणिडत्य और हास्यरस का जो अपूर्वा समन्वय देखने को मिलता है; उससे ज्ञात होता है कि इसका रचयिता कितना मधुर कथाकार तथा निपुण लेखक था. उसकी तीक्ष्ण बुद्धि; राजनीति और कूटनीति की गुत्थियों में जितनी रमती थी; उतनी ही पाठकों तथा श्रोताओं की सहानुभूति; अभिरुचि; कल्पना एवं मनोरंजन की भावना को तृषट् करने के लिए प्रयत्नशील रहती थी. उसने एक ऐसी कथाशैली का आविष्कार किया; जो आज के युग में भी अनुकरणीय बनी हुई है. उसकी प्रत्येक कहानी स्वयं कहानी के रूप में जितनी मनोहारिणी तथा लोकरंजक है; उतनी ही किसी धर्म-कथा; राजनीति; कूटनीति; अथवा सामाजिक हित-चिंता का मनोहर दृष्टांत उपस्थित करने वाली भी है.
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Studio: Storyside IN
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